चाँद पर कदम रखने वाले पहले इंसान नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong) के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं चाँद पर इंसानों को पहुंचाने वाले NASA (National Aeronautics and Space Administration) के सफल मिशन अपोलो 11 (Apollo 11) की चाँद पर लैंडिंग के साथ ही, इंसानों ने वहां एक और अनोखा तथा अनचाहा रिकॉर्ड भी बना दिया था?
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Toggleचाँद पर इंसान के पहुंचने की कहानी हैं बड़ी रोचक
कहानी शुरू होती हैं द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका और रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) के बीच शुरू हुए शीत युद्ध से। दोनों महाशक्तियों में धरती को भेदने और खुले आसमान के बाहर रहस्यमयी दुनियां को खोज कर उसमें अपना परचम लहराने की होड़ सी मच गई थी।
सोवियत संघ ने 1957 में पहला मानव निर्मित उपग्रह sputnik 1 अंतरिक्ष में भेजा
इस होड़ में सबसे पहले सोवियत संघ ने बाजी मारी और वर्ष 1957 में पहला मानव निर्मित उपग्रह, जिसका नाम था स्पुतनिक 1 (sputnik 1) को अंतरिक्ष में सफलता पूर्वक भेज दिया। इसके बाद सोवियत संघ को एक और बड़ी कामयाबी हाथ लगी। और वो कामयाबी थी अंतरिक्ष में इंसान को भेजना। यानी अंतरिक्ष में जाने वाले पहले यात्री यूरी गागरिन (Yuri Gagarin) सोवियत संघ की मदद से अंतरिक्ष की सैर करके वापस सकुशल धरती पर लौट आये।
सोवियत संघ की इन कामयाबियों से अमेरिका की साख पर बात आ गई थी। इसीलिए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ॰ केनेडी (John F. Kennedy) ने 25 मई 1961 को अमेरिकी संसद के सयुंक्त सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा था कि “हमारा लक्ष्य इस दशक के अंत तक चाँद पर मानव को भेजना और उसे वापस धरती पर सकुशल लाना” होना चाहिए। जिसके बाद अमेरिका ने अपने अंतरिक्ष अभियानों से दुनियां को चौंकाने की ठान ली।
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आख़िरकार NASA ने चाँद पर इंसानों को भेज ही दिया
और इसी होड़ के चलते अबकी बार सोवियत संघ नही बल्कि अमेरिका ने बाजी मारी और 20 जुलाई 1969 को धरती के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चाँद पर इंसानों को सफलता पूर्वक उतार दिया। अमेरिका के लिए इस काम को अंजाम दिया था उसकी स्पेस एजेंसी NASA ने। NASA के इस कारनामें से सोवियत संघ भी हैरान रह गया उसने सोचा भी नही था कि अमेरिका इतनी जल्दी राष्ट्रपति कैनेडी के कहे लक्ष्य को हासिल कर लेगा।
NASA के इस मिशन जिसने चन्द्रमा पर इंसानों को पहुंचाया, का नाम Apollo 11 था। ये अभियान 16 जुलाई 1969 को अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना हुआ था। NASA ने इस मिशन पर 3 यात्रियों नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong), माइकल कॉलिन्स (Michael Collins) और बज एल्ड्रिन (Edwin Buzz Aldrin) को भेजा था।
लेकिन 4 दिन बाद नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन ही चाँद की सतह पर उतरे थे जबकि माइकल कॉलिन्स अंतरिक्ष यान की कमांड मॉड्यूल में ऑर्बिट पायलट के तौर पर मौजूद रहे थे।
गौरतलब है कि चाँद की सतह पर पहला कदम नील आर्मस्ट्रांग ने रखा (Neil Armstrong took the first step on the surface of moon) था। इसलिए इतिहास में नील का नाम हमेशा के लिए दर्ज हो गया हैं। वहीं नील आर्मस्ट्रांग के उतरने के 19 मिनिट बाद बज एल्ड्रिन भी चाँद की सतह पर उतरे। इसके बाद नील और बज दोनों ने चाँद पर अमेरिका के झंडे को पहराया और वहीं चहलकदमी करने लगें।
बता दे नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन चाँद पर 21 घण्टे 36 मिनिट तक रहें। (Source-NASA)
लेकिन जब बज एल्ड्रिन अंतरिक्ष यान के लैंडर से चाँद की सतह पर उतर रहें थे तभी उनके स्पेस सूट से पेशाब गिरने लगा जो चाँद की सतह पर फैल गया। और इस प्रकार बज एल्ड्रिन (Edwin Buzz Aldrin) चाँद पर पेशाब करने वाले पहले शख़्स (Buzz Aldrin the first person to urinate on the moon) बन गए।
इस वजह से हुई थी ये घटना
दरअसल ये एक अनचाही घटना थी जो बज एल्ड्रिन की एक छोटी सी भूल का परिणाम थी। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अपोलो मिशन के सभी अंतरिक्ष यात्रियों को पेशाब के लिए 1 खास तरह का पाउच दिया जाता था जिसे अंतरिक्ष यात्री अपनी कमर की बगल में बांधे रखते थे। इस पाउच को यूरीन कलेक्शन डिवाइस (Urine Collection Device UCD) कहा जाता था।
लेकिन बज एल्ड्रिन का ये UCD डिवाइस पेशाब से पूरी तरह भर गया था। जब वो लैंडर की सीढ़ी से उतरने लगे तो ल्युनर मॉड्यूल से सही तरह लैंडिंग नही कर सके। और उन्हें उतरते समय एक झटका लगा क्योंकि ल्युनर मॉड्यूल ( जिसका नाम The Eagle था ) से चांद की सतह पर पहुंचने के लिए उन्हें छलांग लगानी पड़ी थी।
इस झटके की वजह से बज एल्ड्रिन का यूरिन कलेक्शन डिवाइस टूट गया जो पहले ही पूरी तरह से भरा हुआ था। इस डिवाइस के टूटने के बाद पेशाब उनके बूट्स पर गिरने लगा जो बाद में चाँद की सतह पर फैल गया।
वहीं Opie Radio चैनल को दिए एक इंटरव्यू में खुद बज एल्ड्रिन ने इस घटना को मज़ाकिया अंदाज में बयां किया। उन्होंने कहा कि वे काफी समय से यान में थे और साथ ही उन्हें ये भी पता था कि चाँद की सतह पर भी रुकना पड़ेगा। जबकि उनका UCD पहले ही फूल हो चुका था।
उन्होंने आगे कहा कि लैंडर से उतरते समय हमें खुद को सम्भालना होता हैं और पेशाब मेरे लिए समस्या बन चुका था। तो मैंने पेशाब कर दिया।
इस प्रकार 20 जुलाई 1969 के दिन एक साथ 2 कारनामें हुए, पहला चाँद पर इंसानों के कदम पड़े और दूसरा इंसानों का पेशाब।