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साधु-सन्तों ने बनाया ‘हिंदू राष्ट्र भारत’ का नया संविधान, मुसलमानों को नहीं होगा ये अधिकार!

 

 

“हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना अब साकार होने की कगार पर आ पहुंची हैं। हिंदू राष्ट्र की इस परिकल्पना के साकार होने का सबसे बड़ा प्रमाण ये माना जा रहा हैं कि देश के एक बड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले चुनिंदा साधु-सन्तों ने नए संविधान का मसौदा भी तैयार कर लिया हैं।”

देश के बहुसंख्यक वर्ग के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई हैं। खबर हैं कि हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना अब साकार होने की कगार पर आ पहुंची हैं। हिंदू राष्ट्र की इस परिकल्पना के साकार होने का सबसे बड़ा प्रमाण ये माना जा रहा हैं कि देश के एक बड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले चुनिंदा साधु-सन्तों ने नए संविधान का मसौदा भी तैयार कर लिया हैं।

 

आपको बता दे इसकी शुरुआत फरवरी 2022 में माघ मेले के दौरान आयोजित हुईं ‘धर्म संसद’ से ही हो गई थी। इस ‘धर्म संसद’ में भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने और इसके लिए नया संविधान बनाने का प्रस्ताव पास किया गया था।

 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्वामी आनंद स्वरूप (अध्यक्ष-शंकराचार्य परिषद वाराणसी,उत्तरप्रदेश) ने बताया कि हिंदू राष्ट्र के लिये तैयार हो रहा संविधान कुल 750 पृष्ठों का होगा। इसे शाम्भवी पीठाधीश्वर के संरक्षण में 30 लोगों के समूह द्वारा तैयार किया जाएगा। उन्होंने ये भी बताया कि अभी संविधान के 32 पृष्ठों को तैयार कर लिया गया हैं।

 

स्वामी आनंद स्वरूप ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि कुल 750 पृष्ठों के इस नए संविधान का आधा भाग यानि लगभग 300 पृष्ठों को 2023 में माघ मेले के दौरान आयोजित ‘धर्म संसद’ में ही पेश कर दिया जाएगा। और इसके आगे की रूपरेखा के लिए भी विचार विमर्श किया जाएगा।

अभी तक तैयार 32 पृष्ठों में क्या-क्या शामिल किया गया?

रिपोर्ट्स के मुताबिक हिन्दू राष्ट्र के लिए बन रहें नए संविधान में अभी तक 32 पेज तैयार कर लिए गए हैं। जिनमें कई महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया जा चुका हैं। इनमें शिक्षा, कानून-व्यवस्था, वोट देने का अधिकार, रक्षा-व्यवस्था आदि शामिल हैं। 

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 आइए जानते हैं ये विषय मौजूदा संविधान से किस मायने में अलग होंगे?

 

शिक्षा व्यवस्था में होगा बड़ा बदलाव

गौरतलब है कि वर्तमान भारत देश में हमारी शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजों द्वारा बनाई गई मैकाले पद्धति पर आधारित हैं। जबकि हिन्दुराष्ट्र के लिए बने संविधान के अनुसार शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव होंगे। 

ये बदलाव, भारत की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था के ठीक उलट होंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक हिंदू राष्ट्र में शिक्षा व्यवस्था के लिए गुरुकुल प्रणाली को पुनर्जीवित किया जाएगा। ये वही प्रणाली हैं जिसमें भगवान राम और भगवान कृष्ण ने क्रमशः त्रेता और द्वापरयुग में शिक्षा ग्रहण की थीं। अब यदि भारत हिंदू राष्ट्र बनता हैं तो एक बार फिर से इसी प्रणाली को अपनाया जाएगा जिसके अंतर्गत धार्मिक शिक्षा के अलावा ज्योतिष, आयुर्वेद, गणित, नक्षत्र आदि की शिक्षा भी दी जाएगी।

रक्षा और न्याय व्यवस्था में ये होगा ख़ास परिवर्तन

नए संविधान में अपराधियों के लिए सजा का प्रावधान भी किया जा चुका है। ये नई न्याय व्यवस्था त्रेता और द्वापरयुग के जैसी होगी। साथ ही रक्षा व्यवस्था के अंतर्गत राष्ट्र के हर नागरिक को सैन्य प्रशिक्षण लेना अनिवार्य कर दिया जाएगा।

निर्वाचन प्रणाली में बड़ा उलटफेर

हिन्दुराष्ट्र के नए संविधान के अनुसार निर्वाचन प्रणाली भी वर्तमान निर्वाचन प्रणाली से काफी भिन्न होंगी। हम जानते हैं कि लोकतांत्रिक देश भारत की वर्तमान संसद में सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 हैं और वर्तमान में निर्वाचित सांसदों की संख्या 543 हैं। 

इन सदस्यों का चुनाव देश के आम नागरिक करते हैं। तथा देश में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र का हर भारतीय नागरिक इन चुनावों में वोट डालने का अधिकार रखता हैं। जबकि हिन्दुराष्ट्र के नए संविधान अनुसार वोट डालने की उम्र 18 वर्ष नही बल्कि 16 वर्ष होगीं। 

वहीं हिन्दुराष्ट्र में 16 वर्ष या उससे अधिक उम्र के हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन धर्म के नागरिकों को ही मतदान का अधिकार दिया जाएगा। जबकि हिन्दुराष्ट्र में रहने वाले मुसलमान और ईसाई धर्म के नागरिकों को वोट डालने के अधिकार से वंचित रखा जाएगा। हालांकि वोट डालने के अधिकार को छोड़कर शेष सभी अधिकार देश के हर नागरिक के लिए समान होंगे।


हिन्दुराष्ट्र में किसानों को मिलेगा ये फायदा

वर्तमान में हमारे देश के किसानों और कृषि उत्पादों पर विभिन्न प्रकार के टैक्स लगाए गए हैं जबकि हिन्दुराष्ट्र में किसानों से कर वसूलने की व्यवस्था नही होंगी। यानि किसान टैक्स फ्री खेती कर सकेंगे।

 

इसके अलावा नए संविधान के अनुसार देश की राजधानी भी दिल्ली नही बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था के केंद्र वाराणसी (काशी) को बनाया जाएगा। और यहीं पर हिंदू राष्ट्र की संसद बनाईं जाएगी जिसका नाम होगा ‘धर्म संसद’।

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